जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता

दृष्टि देवी फाउंडेशन

गौ पर दृष्टि - सुखमय सृष्टि

फाउंडेशन के सदस्य

साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी जी - {Director}
साध्वी श्री कपिला गोपाल सरस्वती दीदी जी - (Trustee)
साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती दीदी जी - (Trustee)
साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदी जी - (Trustee)
बंशीलाल जी तेली - (Trustee)

हमारे बारे में संक्षिप्त में जानकारी

परमपूज्य दातागुरुदेव भगवान ब्रह्मलीन स्वामी राम ज्ञान तीर्थ जी महाराज जी की प्रेरणा  से कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगरमालवा, मध्य प्रदेश, में परम पूज्य गुरूदेव भगवान के मुखारविंद से एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के आयोजन के दौरान परम पूज्य गुरुदेव ग्वाल संत गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज जी के मार्गदर्शन में गोसेवक साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती जी के नेतृत्व में

“”दृष्टि देवी फाउंडेशन,गौ पर दृष्टि….सुखमय सृष्टि “” नाम की संस्था का शुभारंभ किया गया है।
आईयेअब हम जानते हैं कि हमें किस प्रकार से गौमाता की प्रचाररूपी सेवा का अवसर प्राप्त हुआ है।

(महाभारत, अनुशासन पर्व, दानधर्म पर्व, अध्याय, 69/7)
मातर: सर्वभूतानाम्,गाव: सर्वसुखप्रदा:
– (महाभारत की कथा वैशम्पायन जी, परीक्षित के पुत्र जनमेञ्जय को सुना रहे हैं)
भीष्म पितामह धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं किगाय माता सारे चराचर जगत की, संपूर्ण प्राणियों की माता है। एवं सारे संसार को सुख देने वाली है।

यह बात विभिन्न धर्मग्रन्थों में भी उल्लेखित हैं, प्रमाणित हैं कि गोमाता स्वयं धरती पर चलता फिरता भगवान हैं। गायमाता की द्विव्य महिमा मत्स्य पुराण, कूर्मपुराण, वाराह पुराण में व्यास जी ने, नारद जी ने, धर्मदेवजी ने अपने मुखारविंद से कहीं हैं। कालांतर में श्री राम जी, श्री कृष्ण जी, शौनक जी, भीष्मादि ने भी इसका वर्णन किया है। अग्नि पुराण, वरुण पुराण, गरुड़ पुराण, वायु पुराणादि ग्रन्थ भी पीछे नहीं रहे हैं। अर्थात् गौमाता की महिमा प्रत्येक धर्मग्रंथो में, पुराणों में, उपनिषदों में, वेदों में कहीं गई है। कलिकाल में गाय माता की महिमा को जनजन तक पहुंचाने की महती आवश्यकता है। गौ महिमा के अभाव में  वर्तमान समय में हजारों गौमाताएं कसाइयों के द्वारा काट दी जाती हैं, पोलीथीन खाकर प्राण त्याग देती हैं, सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं, धर्मपरायण जनता की उपेक्षाओं की शिकार हो रही हैं, आहार औषधि और आश्रय हेतु यत्रतत्र भटकने की लीला कर रही हैं। भगवती गौ माता को पुनः जनजन के हृदय पटल पर एवं विश्व माता के पद पर स्थापित करने हेतु गौमाता के आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक महत्व को समाज तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही साथ यह भी आवश्यक है की संपूर्ण देशभर में गौसेवा क्षेत्र में घटित हो रही समस्त घटनाएं, विभिन्न जानकारियां सूचनाएं समाज में रह रहे समस्त गौ भक्तों तक पहुंचे, क्योंकि गौ माता से जुड़े शुभ/अशुभ समाचार जब गौभक्तों तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो इससे गौ सेवा पर प्रभाव पड़ता है तथा गौ सेवा कार्यक्षेत्र विस्तृत नहीं हो पाता है।

कई बार ऐसा देखा व सुना जाता है कि कई गौशालाओं में रात्रि के समय दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों द्वारा गौवंश की चोरी हो जाने की घटना या गौवंश को नुकसान पहुंचाने की घटना घटती हैं। रात्रि में ही नहीं कई क्षेत्रों में गौशालाओं से दिन दहाड़े बंदूक की नोक पर गोशालाओं से गौवंश को उठा लिया जाता है।
इन बात को ध्यान में रखते हुए परम पूज्य गुरुदेव भगवान के आदेश पर एवं उनके परम कृपामयी मार्गदर्शन मेंदृष्टि देवी फाउंडेशनकी नींव रखी गयी। समस्त धर्मग्रंथो में बिखरे गौ महात्म्य को परम पूज्य श्री सद्गुरुदेव भगवान द्वारा संग्रहित

“”गौ कृपा कथा गागर“” नामक गौ ग्रंथ को संपूर्ण विश्व के गौभक्तों, जन सामान्य तक पहुंचाना तथा संपूर्ण देशभर में गौसेवा क्षेत्र में घटित हो रही समस्त घटनाएं, विभिन्न जानकारियां, सूचनाएं, समाचार पत्रिका एवं सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में रह रहे समस्त गौ भक्तों तक पहुंचाकर भगवती गौमाता की वर्तमान स्थिति से सभी को अवगत करवाकर भगवती गौमाता की सेवा को प्रोत्साहित करना तथा अभावग्रस्त गौशाला और चिकित्सालयों में उपलब्धता व आवश्यकतानुसार निगरानी के लिए कैमरे की व्यवस्था करना….यहदृष्टि देवी फाउंडेशनका भाव है। इस सेवा कार्य से आने वाले समय में विश्व में कोई भी गौमाता जानकारी व सूचना के अभाव में कष्ट नहीं पाए और गौमाता के आध्यात्मिक महत्व को समझ समाज गौ शरण लेकर आनंदित हो सके।

दृष्टि देवी फाउंडेशन का विजन

Vision of Foundation:-
प्राचीन काल से ही भारत में गोधन को मुख्य धन मानते आए हैं और हर प्रकार से गौरक्षागौसेवा एवं गौपालन पर ज़ोर दिया जाता रहा है। हमारे हिन्दू शास्त्रोंवेदों में गौरक्षागौ महिमागौपालन आदि के प्रसंग भी अधिकाधिक मिलते हैं। रामायणमहाभारतभगवद्गीता में भी गाय का किसी न किसी रूप में उल्लेख मिलता है। गायभगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है। गौ पृथ्वी का प्रतीक है। गौमाता में सभी देवीदेवताविद्यमानरहतेहैं।सभीवेदभीगौमातामेंप्रतिष्ठितहैं।

वराह पुराण २०४२०]
 इदमेवापरम् चैव चित्रगुप्तस्य भाषितम् ।सर्वदेवमयादेव्यःसर्ववेदमयास्तथा।।

अर्थ :- ( सूत जी महाराज शौनकादिक ऋषियों को कथा सुना रहे हैं)
(भगवान वाराहमाता पृथ्वी को कथा सुना रहे हैं)
चित्रगुप्त जी कहते हैं कि यह गौमाता स्वरूप देवीयाँ सर्वदेवमय और सर्ववदमय है।

जो गौओं की सेवा करता है और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता हैउस पर संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं। जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौओं की सेवा करता हैवह समृद्धि का भागी होता है। गायों की सेवा से मनुष्य निर्मल और दुःख तथा शोकरहित श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त करता है।
जो कोई भक्त भक्ति भाव से गो सेवा करता हैंवो सब पापों से रहित हो जाया करते हैं।

वेद भगवान्‌ का निर्देश है कि यदि किसी को इस मायाराज्य में सब प्रकार का वैभव प्राप्त करना हैतो गौमाता की प्रमुख रूप से सेवा करे।
अतएव मानवों को गौ माता की सेवा करने के वेद भगवान्‌ का आदेश हुआ। जो व्यक्ति सब प्रकार से अपना कल्याण चाहता होवह वेद भगवान्‌ के आदेश का पालन करें।
अतः वेद भगवान के आदेश की पालना करते हुए गो से ही समस्त जगत का कल्याण संभव हैंइस भाव को ध्यान में रखकर समस्त विश्व को गौसेवा के लिए प्रेरित करने के लिए दृष्टि देवी फाउंडेशन नामक गौसेवी संस्था का निर्माण किया गया है ताकि अधिक से अधिक धर्मपरायण लोग गौसेवा का लाभ ले सके।

गो सेवार्थ होने वाले सभी कार्यों में बने सहभागी